आज वर्तमान समय में मनुष्य विलासितापूर्ण जीवन यापन कर रहा है मनुष्य की चाह भी समय की तेजी के साथ बढती जा रही है आज मनुष्य न केबल दुसरो को अपने से हीन समझता है बल्कि उन्हें समाज का अंग मानने से भी इंकार करता है......... अब जब इस तरह का माहोल चारो और बन रहा है ऐसे में हमें महावीर के सिद्दांत को आत्मसात करने की जरुरत है.......
अहिंसा के पुजारी महावीर ने मुख्य रूप से दो सिद्दांतो का प्रतिपादन किया .......अहिंसा परमोधर्म और अपरिग्रह .........आज हमने इन दोनों ही सिद्दांतो को विस्मृत सा कर दिया है ....आज हर तरफ़ हिंसा,झूठ ,चोरी ,और लूटपाट का तांडव है ऐसे में महावीर के समन्वय ,अहिंसा ,अचोर्यऔर अपरिग्रह जैसे सिद्दांतो को अपनाने की जरुरत है ...
आज महावीर को निर्वाण हुये २६०० से अधिक बर्ष हो गये है लेकिन उनका दर्शन ,उनकी शिक्षा न सिर्फ जैनों के लिए अपितु सरे विश्व के लिए शिरमोर है .......
मगर कुछ लोग कहते है कि महावीर ने जो रास्ता आज से २६०० वर्ष पहले बताया था हो सकता उस युग में किसी कम का रहा होगा पर आज दुनिया बहुत बदल गयी है ,कहा वह बैलगाडी का जमाना और कहा यह रोकती दुनिया ?२६०० वर्ष पुरानी बाते आज हमारे किस कम की !तब बे कहते है कि आज महावीर "आउट ऑफ़ डेट "हो गये है........
उन लोगो से में कहना चाहता हूँ कि महावीर "आउट ऑफ़ डेट "नही बल्कि आज भी "अप तू डेट"है...............यह बात शायद उन लोगो को अच्छी न लगे जो एसे कपड़े पहन कर ,एसे बल कटा कर कि दूर से देखने पर कि पता ही न चले कि लड़का है या लड़की अपने को अप तू डेट समझते है .....पर दयां रहे ,कोई व्यक्ति कपड़ो से नही अपितु अपने विचारो से महान होता है .................
महावीर के उपदेशो की जितनी पहले आवश्यकता नही थी उससे कही अधिक आवश्यकता आज है क्यों की हिंसा ने आज विकराल रूप धारण कर लिया है..........
रामायण की लडाई ६ महीने चली थी लेकिन उसमे मरने वालो की संख्या हजारो में थी लाखो में नही .......महाभारत की लडाई मात्र १८ दिन चली उसमे मरने वालो की संख्या लाखो
में थी करोडो में नही .........पर आज असली युद्घ यदि अठारह सेकंड भी चला तो तो मरने वालो की संख्या हजारो ,लाखो ,करोडो नही अपितु अरबो होगी,असंख्य होगी..............................
पुराने ज़माने में युद्घ के मैदानों में सिपाही लड़ते थे और वे ही मरते थे ,पर आज का युद्घ मात्र सिपाहियों तक ही सीमित नही है अपितु उसकी लपेट में आज साडी दुनिया आ गई है ......आज की युद्घ में मात्र सिपाही ही नही मरते अपितु किसान भी ,मजदुर भी,व्यापारी भी मरते है ,खेत खलिहान भी बर्बाद होते है ,कल कारखाने समाप्त होते है बाजार और दुकाने भी तबाह होते है ,अधिक क्या कहे अहिंसा की बात कहने बाले मन्दिर मस्जिद भी साफ हो जाएगे ....................
आज हिंसा जितनी भयानक हो गई है ,अहिंसा की आवश्यकता भी आज उतनी अधिक हो गई है ......विनाश की इस प्रलयंकारी बाढ़ को रोकने में यदि कोई समर्थ है तो वह महावीर की अहिंसा ही है ...........
इन्सान को अपने जीवन में महावीर के सिद्दांतो को पालन करना बहुत जरुरी है ......महावीर का बताया मार्ग ही इस जगत से समस्याओ को समाप्त करके शान्ति स्थापित कर सकता है ......हम सभी इस अहिसा को अपना कर सदाचारी बने इसी मंगल भावना के साथ में अपनी बात समाप्त करता हूँ ..........................................
Thursday, November 5, 2009
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