Tuesday, November 10, 2009
आख़िर कौन होगा भाजपा का अध्यक्ष ????
भाजपा को तो मानो किसी की बुरी नजर लग गई है... तभी तो पुरजोर कोशिस करने के बावजूद अपने अस्तित्व को बनाये रखने की जद्दोजहद कर रही है..... बात चाहे लोक सभा चुनाव में हार की हो या विधान सभा चुनाव में अपेक्षा से कम राज्यों में सत्ता प्राप्त करने की , हर बार उसको मुह की खानी पड़ी... हाल में हुए ३ राज्यों के विधान सबह चुनाव में तो उसकी हालत किसी मिमियाती बिल्ली की रही ॥ जो चूहा पकड़ने की कोशिश तो कर रही है पर वह अपनी इस कोशिश से पार नही पा पा रही है ... क्युकि जिस तरह से भाजपा महारास्त्र, अरुणांचल, हरियाणा में हार का स्वाद चखा उससे तो उसकी हवाईया ही उड़ गई.... कम से कम महारास्त्र में तो उसने ऐसी कल्पना भी नही की थी॥ इन चुनावो की असफलता का सारा ठीकरा आडवानी और उनके साथियो को दिया जा रहा है॥ भाजपा की अंदरूनी कलह में यह उजागर भी हो गया की आडवानी को प्रचारित करना उनकी भारी भूल थी ॥ अब जब पूरी की पूरी भाजपा , संघ प्रमुख मोहन भागवत पर आश्रित है तो भाजपा के स्टार नेताओ को उनकी सहमती से ही चलना होगा ॥ अब भाजपा अध्यक्ष राजनाथ का कार्यकाल भी समाप्त हो रहा है ॥ ऐसे में नए अध्यक्ष का फेसला भागवत ही करेंगे.....और भागवत ने यह भी खुलाशा कर दिया है की चारो ही दिग्गज अनंत कुमार, जेटली , सुषमा, वेंकैया नायडू में से कोई भी नया अध्यक्ष नही होगा...ऐसे में भाजपा की एक समस्या यह उत्पन्न होगी की आख़िर किसे भाजपा की कमान सोपी जाए .... अगर लंबे समय से राजनीती की पारी खेल रहे इन चारो दिग्गजों को इस बिना पर अध्यक्ष की होड़ से अलग कर रहे है किसी ऐसे हाथ को कमान दी जाए जो सबको साथ लेकर चल सके ....तो यह उसकी भूल है कही ऐसा नही हो जाए की बाहरी अध्यक्ष के फेर में भाजपा चलेँ बोल्ड हो जाए.....और विपक्षी टीम राजनीतिक कप को अपने सीने से लगा कर गौरवान्वित रहे
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